अध्याय 1: छूटा हुआ तावीज़ गाँव भैरवगढ़ हमेशा से रहस्यों से भरा रहा था, लेकिन पिछले कुछ सालों से वह शांति में डूबा हुआ था। समय जैसे थम गया था, जब से ‘पाली’ गाँव की घटनाओं ने सबको डरा कर रख दिया था। पर हर कहानी का एक छिपा हुआ सिरा होता है—और वही सिरा अब फिर से उभरने वाला था। स्वरा, एक युवा इतिहासकार, पाली गाँव की घटनाओं पर रिसर्च कर रही थी। उसे रवि की बलिदान वाली कथा ने झकझोर दिया था। लेकिन वह केवल एक पाठ नहीं था—बल्कि एक संकेत था। स्वरा को अपने दादा की पुरानी अलमारी में एक तावीज़ मिला—काला, धातु से बना हुआ, जिस पर अजीब चिह्न थे। उसी रात, उसने एक सपना देखा—एक मंदिर, एक चीख, और एक परछाई जो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। अगली सुबह तावीज़ के चिह्न जल रहे थे। और तभी शुरू हुआ एक नया अध्याय। अध्याय 2: जागते संकेत स्वरा ने तावीज़ को लेकर अपने मित्र अनिरुद्ध से संपर्क किया। वह एक पुरातत्वविद् था और उसने कई बार श्रापित स्थलों पर काम किया था। “यह तावीज़ केवल प्रतीक नहीं है,” अनिरुद्ध बोला, “यह एक मुहर है… किसी को बंद करने की।” “लेकिन कौन? और क्यों?” स्वरा की आवाज़ काँप...